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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Romance Fantasy

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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Romance Fantasy

अल्फ़ाजों में बयां नहीं तुम

अल्फ़ाजों में बयां नहीं तुम

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अल्फ़ाजों में बयां नहीं तुम 

निगाहों से मैं लिखा करूं 

कायल हुआ इस क़दर शख्सियत से 

कि खुद ब खुद झुक जाता सर सजदे में तुम्हारे

हां थोड़ी बदमाश थोड़ी सी जिद्दी हो

पर प्रेम करने में मुझसे भी आगे हो 

कोई मिथ्या नहीं कोई फरेब नहीं 

तुम्हारे प्रेम की कोई व्याख्या नहीं 

करूं अगर इसे शब्दों में विभक्त मैं

तो कहलाऊंगा हत्यारा तुम्हारा 


लफ़्ज़ों से कहता नहीं तुम निगाहों 

में मुझे पढ़ लेती हो कितना भी दर्द में हो

पर पहले मुझसे पूछ पूछ कर हर ख़बर लेती हो

लबों पे मुस्कान रख रोज़ मेरे लिए खुश दिखती हो,

कैसे कर लेती हो ये सब 

इंसाके भेस में फरिश्ता तो नहीं हो


अल्फ़ाजों में बयां नहीं तुम 

निगाहों से मैं लिखा करूं 

होठों से माथा छु तुम्हारे प्रेम का मैं सम्मान करूं

कभी कभी हान्लेस ता हूं अपने वैचारिक दृष्टि पे 

क्योंकि देखता हूं तुममें माँ की छवि 

वो जो प्रेम से कहती हो न कुनू

हक़ीक़त में संवेदनशील भाव आंसू में बह जाते

अल्फ़ाजों में बयां नहीं तुम

निगाहों से मैं लिखा करूं 


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