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Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

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Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

अल्लाह अपना नूर है !

अल्लाह अपना नूर है !

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ना अस्त्र है ना शस्त्र है,

समस्त दुनिया त्रस्त है।

यथार्थ और सत्य है,

कि व्यस्तता निरस्त है।।


ताक़त भी आज पस्त है,

दौलत के सूर्य अस्त है !

कुदरत परन्तु मस्त है,

विज्ञान चकित, क्षुब्ध है।।


फिर आज बात सिद्ध है,

प्रकृति ही समृद्ध है।

इंसा प्रकृति पुत्र है ,

विज्ञान से अशुद्ध है।।


अपना ' ख़ुदा' ही सत्य है,

उपलब्धियां असत्य हैं।

कुदरत का ही महत्व है,

उपलब्धियां निरस्त हैं।।


'कोरोना' तो प्रतीक है,

यह माध्यम सटीक है।

घमंड चूर - चूर है,

'अल्लाह' अपना नूर है।।



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