अल्लाह अपना नूर है !
अल्लाह अपना नूर है !
ना अस्त्र है ना शस्त्र है,
समस्त दुनिया त्रस्त है।
यथार्थ और सत्य है,
कि व्यस्तता निरस्त है।।
ताक़त भी आज पस्त है,
दौलत के सूर्य अस्त है !
कुदरत परन्तु मस्त है,
विज्ञान चकित, क्षुब्ध है।।
फिर आज बात सिद्ध है,
प्रकृति ही समृद्ध है।
इंसा प्रकृति पुत्र है ,
विज्ञान से अशुद्ध है।।
अपना ' ख़ुदा' ही सत्य है,
उपलब्धियां असत्य हैं।
कुदरत का ही महत्व है,
उपलब्धियां निरस्त हैं।।
'कोरोना' तो प्रतीक है,
यह माध्यम सटीक है।
घमंड चूर - चूर है,
'अल्लाह' अपना नूर है।।
