अखण्ड ऊर्जा
अखण्ड ऊर्जा
अखण्ड ऊर्जा
दो ही चीज़ें हैं ब्रह्माण्ड में
ऊर्जा और पदार्थ,
शरीर पदार्थ से निर्मित है
आत्मा ही सतत ऊर्जा है।
यही ऋषि मुनियों का कहना है,
विज्ञान का भी यही कहना है ।
कुछ भी नष्ट यहॉं नहीं होता,
अपनी गति से नवॉंकुर आता है।
पदार्थ बदलता रहता है,
ऊर्जा चक्र बना रहता है,
क्षण क्षण परिवर्तित जग में,
अखण्ड ऊर्जा ही विराजित है।
कैसे हम अप्रभावित रहें सबसे
निर्लिप्त रहें जन्म- मरण से,
प्रकाश की ओर ही गमन हो,
जग में रहें अम्भ में पद्म पत्र से।