अकेली राधा..!
अकेली राधा..!
हां , कभी मैं अकेला सा रह गया
पर जब भी छेड़ा मन ने तेरे यादों का गीत,
मैं सुरीला सा बन गया..!
कभी मैं अकेला सा रह गया
पर जब भी तूने पूरी की मेरी हर एक जिद..
किंचित मैं हठीला सा बन गया ..!
माना कभी मैं अकेला सा रह गया
पर तेरे प्रेम की मिठास में घुल कर,
मैं कण-कण रसीला सा बन गया..!
माना राधा का प्रेम अकेला रह गया,
पर आज भी कान्हा ने जब भी बजायी वंशी,
बृज में मौसम रासलीला का बन गया..!

