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Jyoti Deshmukh

Fantasy

4  

Jyoti Deshmukh

Fantasy

अजनबी

अजनबी

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एक सफर में एक अजनबी से मुलाकात हुई

आँखों ही आँखों में न जाने क्या बात हुई 

न लगा वो अनजाना सा बस अपनेपन के एहसास सी बात हुई 

उसकी भोली सूरत, प्यार भरी मीठी बाते दीवानगी इस कदर हुई 


निहारता रहा वो मुझे एकटक सा 

बस नैनों से नैनों का संवाद हुआ और प्यार भरी बात हुई 

चेहरे पर उसके ताजगी और होंठों पर हँसी 

नजरे मिली गुपचुप बस इशारों में मोहब्बत हुई 


पहली ही नजर में मेरा दिल चुरा ले गया कोई 

खोजती अपना दिल एसा प्यार का अनुराग भरा जादू चला गया कोई 

उसकी आखों में है झील जैसी गहराई 

जैसे शाम हुई मस्तानी और ठंडी चल कोई पुरवाई 


लगाव हो गया हमें उससे जैसे कोई रिश्ता हो हमारे दरमियाँ 

प्रीत के रंग में रंग गए हम बन गए सजना और सजनी 

एसी मोहब्बत यार कमाल हुई 

हीर रांझी सी पाक मोहब्बत हमारी 

वो आए जिंदगी में मेरे तो खुशियों की बौछार हुई 


उसकी अदा पर मर मिटे और मोहब्बत में बहक गए एसे 

प्यार भरी कुछ एसी तकरार हुई 

कभी मोहलत नहीं थी लेकिन जिए अपने प्यार के लिए 

मिल गया है जीवन साथी मेरा 

जैसे मरूभूमि में खिला फूल हो कोई एसी प्रकृति की नेह मत हुई 


जिससे मिलने की चाहत हो, हर घड़ी जिसका इंतजार हो

ऐसी प्यार भरी छुअन महसूस हुई 

है कच्चे धागे सी मोहब्बत करना इसकी हिफाजत,

वो अजनबी चेहरा बन गया मेरा हमसफर 

एसी जिंदगी आज मेरी मुकम्मल हुई 


मिल गया एक साथी खिल गया दिल उपवन जैसा 

जैसे सूने नैनों में आशा की किरण बन रोशनी भरी झिलमिल एक आहट हुई।


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