अजनबी से मुलाकात
अजनबी से मुलाकात
हर दिन ज़िंदगी से भी मुलाकात होती है ऐसे।
किसी अजनबी से मुलाकात हो रही हो जैसे।
कभी तो खूब खुशियांँ दे देती है ज़िंदगी।
कभी-कभी गम की बरसात कर देती है ये ज़िंदगी।
कभी किसी से वफ़ा नहीं करती ये ज़िंदगी।
हर दिन एक अजनबी की तरह,
सामने आती है ये ज़िंदगी।
हर दिन अपने नए पहलू से,
मुलाकात करवाती है ये ज़िंदगी।
कभी उम्मीद का दिया जलाती है ये ज़िंदगी।
कभी मृगतृष्णा-सी महसूस होती है ये ज़िंदगी।
जहांँ कोई अपना नहीं लगता।
कभी-कभी तो इस मोड़ पर लाकर,
खड़ा कर देती है ये ज़िंदगी।
हर दिन एक अजनबी की तरह,
सामने आती है ये ज़िंदगी।