चेतना की धारा
चेतना की धारा
मन की ही एक दशा है चेतना की धारा।
व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति का,
निर्माण करती है चेतना की धारा।
यूँ तो शब्दों में नहीं समा सकती चेतना की धारा।
बस समझने की चीज़ है चेतना की धारा।
व्यक्ति को क्रियाशील रखती है चेतना की धारा।
बहुत सूक्ष्म और जटिल होती है चेतना की धारा।
नियंत्रित शब्दों में,
परिभाषित नहीं की जा सकती चेतना की धारा।
बुद्धि हो या ज्ञान, जीवन हो या भावना।
सब है चेतना की धारा।
जीवन का लक्षण ही है चेतना की धारा।
जीव हो या प्राणी सभी में है बहती चेतना की धारा।
जीवित ही नहीं मनुष्य यदि,
ना बहे उसमें चेतना के धारा।
जीवन को गति देती है चेतना की धारा।
जीवन को विकास करने की,
शक्ति देती है चेतना की धारा।
मनुष्य में जागरूकता लाती है चेतना की धारा।
मनुष्य को संकल्प लेने में,
सहायता करती है चेतना की धारा।
मनुष्य का जीवन में,
हर कार्य संपन्न कराती है चेतना की धारा।
मानव की मुख्य विशेषता है चेतना की धारा।
मानव को वस्तुओं और व्यवहारों का,
ज्ञान कराती है चेतना की धारा।
मनुष्य के जीवन की सभी अनुभूतियों का मानो
अजायबघर है चेतना की धारा।
मनुष्यों की केंद्रीय शक्ति है चेतना की धारा।
चिंतन हो या विचार, संकल्प हो या कल्पना।
सभी प्रकार की क्रियाएँ संभव कराती है बस,
चेतना की धारा।
मनुष्य के साथ,
वास्तविक संबंध रखती है चेतना की धारा।
मनुष्य को सजीव बनाती है चेतना की धारा।
मनुष्य के मन पर,
सदा अपना नियंत्रण रखती है चेतना की धारा।
मनुष्यों में सदा जागृत रहती है चेतना की धारा।
हमारी जीवन-शैली में सदा,
बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है चेतना की धारा।
मनुष्य में सभी प्रकार के एहसास,
मुमकिन कराती है चेतना की धारा।
देखना, सुनना, समझना, चिंतन करना।
सभी क्रियाएँ संभव कराती है चेतना की धारा।
सुख हो या दुख दोनों का ही अनुभव कराती है।
बस यही मनुष्य में सदा बहती चेतना की धारा।
मनुष्य में कोई क्रिया नहीं संभव।
यदि ना बहे उसमें चेतना की धारा।
यदि ना बहे उसमें चेतना की धारा।