ऐसा समाया चेहरा दिल में
ऐसा समाया चेहरा दिल में
ऐसा समाया चेहरा दिल में
उतर गया है गहरा दिल में
कोई बात न निकले मुंह से
डर कुछ ऐसा ठहरा दिल में
खून की बूंदे सूख चुकी सब
आ बैठा है सहरा दिल में
कोई न अंदर आ पाएगा
ऐसा बैठा पहरा दिल में
नूर मुहब्बत का फैला तो
निकला आज दुपहरा दिल में
जब जब देखूं उसका तबस्सुम
खिलता फूल सुनहरा दिल में
खुश होना था तुमको फैसल
क्यों खटका है शोहरा दिल में।
