ऐ दिल मुहब्बत न कर अभी तू
ऐ दिल मुहब्बत न कर अभी तू
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ऐ दिल मुहब्बत न कर अभी तू
किसी की हसरत न कर अभी तू
अभी बहुत हूं मैं बेखुदी में
कोई शिकायत न कर अभी तू
ये रुत है बरसात की समझ कुछ
नदी सी हाजत न कर अभी तू
गरीब बच्चों का ध्यान कर ले ।
सखी की दावत न कर अभी तू
अभी है तुझ पर जवानी आई
गलत ये आदत न कर अभी तू
ज़माना है ये जफा दगा का
वफा की चाहत न कर अभी तू
खिलेंगे फैसल अभी न वो गुल
तलब–ए–निकहत न कर अभी तू।
