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शाह फैसल सुखनवर

Others

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शाह फैसल सुखनवर

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ऐ दिल मुहब्बत न कर अभी तू

ऐ दिल मुहब्बत न कर अभी तू

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ऐ दिल मुहब्बत न कर अभी तू

किसी की हसरत न कर अभी तू


अभी बहुत हूं मैं बेखुदी में 

कोई शिकायत न कर अभी तू


ये रुत है बरसात की समझ कुछ

नदी सी हाजत न कर अभी तू


गरीब बच्चों का ध्यान कर ले ।

सखी की दावत न कर अभी तू


अभी है तुझ पर जवानी आई

गलत ये आदत न कर अभी तू


ज़माना है ये जफा दगा का

वफा की चाहत न कर अभी तू


खिलेंगे फैसल अभी न वो गुल

तलब–ए–निकहत न कर अभी तू।


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