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शाह फैसल सुखनवर

Abstract Classics Inspirational

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शाह फैसल सुखनवर

Abstract Classics Inspirational

जुमलेबाजी

जुमलेबाजी

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जुमलेबाजी देश को बेहाल कर देगी बहुत

मुल्क का अमन ओ सुकूं पामाल का देगी बहुत


भुखमरी, बेरोजगारी,मुफलिसी बढ़ने लगी

नफरतें इस मुल्क को कंगाल कर देगी बहुत


मुफ़्त राशन देके तुमको तुमसे लेगी दोगुना

महंगा आटा, दूध,सब्जी दाल कर देगी बहुत


बस दिलासे ही मिलेंगे नौकरी के नाम पर  

इस तरह बरबाद तेरे साल कर देगी बहुत


वक्त है अब भी बदल दो नफरती सरकार को

देश की वरना ये उल्टी चाल कर देगी बहुत


ये बढ़ाने पर तुली है जिस तरह महंगाई को 

ऐसे तो गुरबा के घर में काल कर देगी बहुत


मुश्किलें पैदा करेगी सच अगर फैसल कहा 

राह में तैयार तेरे जाल कर देगी बहुत।


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