ऐसा धर्म रच डालो जो मानवता की
ऐसा धर्म रच डालो जो मानवता की
ऐसा धर्म रच डालो
जो मानवता की बात करें
ना किसी पर कटाक्ष करें
ना किसी पर आघात करें।।
छोटे बड़े कि बात नहीं
एक सा सब का रात कटें
ना किसी को टेंशन हो
ना कोई किसी पर धात करें
ऐसा धर्म रच डालो......
कोई भय में ना जीए
कोई किसी का न प्रयाय चले
ऐसा मन में भाव भरो
वैसा जग में कार्य करो
ऐसा धर्म रच डालो.....
नफरत ना हो नादान काया सा
ऐसा बचपन कि एहसास करें
मिठी-मिठी बातों से
सब-सब का सत्कार करें
ऐसा धर्म रच डालो.....
मोह माया में न रहे लिप्त
त्याग तपस्या सा व्यवहार करें
सादा जीवन जीए सदा
पवित्र उसका चरितार्थ रहें
ऐसा धर्म रच डालो.....