ऐ दुःख
ऐ दुःख
ऐ दुःख तेरा दर है कहाँ
उलझन बहुत है आजकल,
तो बता तेरा घर है कहाँ
कहाँ कहाँ ढूंढ रही तुझे,
पर तेरा आशियाना ना मिला
सुना है हर जिंदगी में हावी है
फिर भी तेरा मकान ना मिला,
तय करने जब चली तुझे
मिलों दूर तू अदृश्य ही मिला,
आख़िर तेरा वजूद है कहाँ
शिवाला धरा आकाश जिंदगी,
प्रतिबिंब कही नज़र ना आता यहां।
सूरज की रोशनी चांद की चमक में
या मखमली चादर में सिमटा है कहाँ,
तेरा स्वरूप देख तुझे जानना है
हर किसी के पास हाज़िर रहता है,
सोने की चमक दिखाकर
जीने का हुनर भी सिखाता है,
सुना है तू बड़ा शक्तिशाली है
बड़े बड़ों की पहचान कराता फिरता है,
अपनी भी पहचान बताने आ अब यहां
ऐ दुःख तेरा दर है कहाँ,
ऐ दुःख तेरा दर है कहाँ।।
