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अहसास

अहसास

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अहसास

है तो जीवन,

एक खाली पन्ना ही ।

जिस पर वक्त ,

हर रोज़ नया कुछ लिख जाता है।

हमारी खींचीं लकीरों पर,

नई आकृति गढ जा़ता है।

पर कहाँ मार्गदर्शक बन पाता है।

गुमराह है या पथप्रदर्शक,

कब बतलाता है।

यह तो रूह ही है

जिससे रूबरू होने पर ही

इसका एहसास हो पाता है।




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