अगर
अगर
ग़लतफ़हमी के इस दौर में आओ एक सहमति करले
कुछ वक़्त बीत जाने पर एक दूसरे को बाहों में भर ले !
खुद ही सुलझ जाएँगी उलझने आसान हो जाएँगी डगर
जब दिल से दिल मिलेंगे और न होंगी कोई 'अगर' !
ग़लतफ़हमी के इस दौर में आओ एक सहमति करले
कुछ वक़्त बीत जाने पर एक दूसरे को बाहों में भर ले !
खुद ही सुलझ जाएँगी उलझने आसान हो जाएँगी डगर
जब दिल से दिल मिलेंगे और न होंगी कोई 'अगर' !