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Rajan Patekar

Abstract Romance

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Rajan Patekar

Abstract Romance

अगर

अगर

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ग़लतफ़हमी के इस दौर में आओ एक सहमति करले

कुछ वक़्त बीत जाने पर एक दूसरे को बाहों में भर ले !


खुद ही सुलझ जाएँगी उलझने आसान हो जाएँगी डगर

जब दिल से दिल मिलेंगे और न होंगी कोई 'अगर' !


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