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V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

Inspirational

अगर कोई ऊँगली उठाए

अगर कोई ऊँगली उठाए

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अगर कोई उंगली उठाये तो लड़ने के बजाय सोचना आवश्यक है,

दूसरों की विवेचना करने से पहले 

आत्म विश्लेषण अति आवश्यक है..


वह कहता, हिंदू हिंसक है,

कुछ भी कह ले, पूरा हक है।

पर हिंसक है, इसमें शक है,

यह तय है निरा नपुंसक है।।


उसने थप्पड़ गाल जड़े हैं,

तदपि चाटते चरण पड़े हैं,

बाकी सब मुॅंह बांध खड़े हैं, 

बिल्कुल चिकने सभी घड़े हैं।

यही दीनता अति अतीत की 

रही प्रदूषक है।। 


आये गजनी से कुछ घोड़े,

संख्या में बिल्कुल कम, थोड़े,

पूरे भारत भर में दौड़े,

गृह गुरुकुल देवालय तोड़े।

लुक छुप जान बचाई अपनी,

बिल का मूषक है।। 


मुट्ठी भर अंग्रेज भी आये,

हिंसक पशुओं को फुसलाये,

लाभ उठा इस भोलेपन का,

सारा हिंदुस्तान हराये।

हिंदू रहा बजाता ताली,

महा विदूषक है।।


वर्ग जातियों में टूटा है,

ब्राह्मण तो सबसे झूठा है,

कभी कोट पर डाल जनेऊ 

छद्म वेश धर जग लूटा है।

छला समाज व देश धर्म को, 

निज कुलनाशक है।।

 

क्षत्रिय क्षात्र धर्म क्या जानें,

आन-बान भूले दीवाने,

त्यागे राष्ट्र, धर्म, मर्यादा,

राजनीति कर रहे सयाने।

क्षणिक स्वार्थवश राष्ट्रद्रोह का

बना समर्थक है।। 


हैं विदीर्ण सब ताने-बाने,

वैश्य जुटा पर अर्थ कमाने,

भान नहीं सब व्यर्थ जायेगा,

पड़ेंगे संचित द्रव्य लुटाने।

चक्षु तीव्र, संकीर्ण दृष्टि का

यह संपोषक है।।


दलित सदा ही रहे बेगाने,

धर्म बदलने की धुन ठाने,

विधर्मियों ने देकर ताने,

ऊंच-नीच कह लगे लड़ाने।

यह विघटन अनबन संस्कृति के

क्षय का द्योतक है।।


संसद में हिंदू यश गाये,

कौन थे जो मेजें थपकाये,

घूम रहा है अब भी पीछे,

हिला रहा दुम स्वान सरीखे। 

परजीवी प्रतिरोध न जाने,

हड्डी चूषक है।। 


जागो, तुम्हें जागना होगा,

अहं, प्रमाद त्यागना होगा,

एक सूत्र में बॅंधना है या,

तज घर द्वार भागना होगा।

गिद्ध दृष्टि जो लगी, क्रूर है 

अति विध्वंसक है।। 



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