STORYMIRROR

Raashi Shah

Classics

3  

Raashi Shah

Classics

अगर कोई अपना हो ही न​

अगर कोई अपना हो ही न​

1 min
291

सफल होते है हम

जीवन में क​ई बार

लेकिन उसका क्या फ़ायदा,

अगर कोई जश्न मनानेवाला हो ही न

कोई अपना, हो ही न​

!

सदा सफल होना, ज़रूरी नहीं

क​ई बार हार भी माननी पड़ती है हमें

लेकिन वो हार भी कैसी,

जब कोई हौसला दिलानेवाल हो ही न

कोई अपना, हो ही न​ !


और उस हँसी-मज़ाक का क्या फ़ायदा,

जब कोई साथ हँसनेवाला, हो ही न

कोई अपना, हो ही न​ !


और उस गम का भी क्या फ़ायदा,

जब कोई सहारा देनेवाला कंधा, हो ही न

जब कोई अपना, हो ही न !


और वो आँसू भी,

बहे कैसे,

जब उन्हें पोछनेवाला, कोई हो ही न

कोई अपना, हो ही न​ !


और वो दिल भी कैसा,

जिसमें खटास भरी हो,

जिसमें ईर्ष्या और अभाव हो,

किसी भी इंसान के प्रति,

इंसानियत दिखा न सके जो,

और अपना न मान सके किसी को।


क्योंकि अपनों से तो खुशहाल बनती है ज़िन्दगी,

वरना ज़िन्दगी की मन्नत माँगते ही क्यों ?

ऐसे अपनों की ज़रूरत है हम सबको,

ताकि ख़ुशनुमा बना दे वे,

हमारे जीवन के हर लम्हे को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics