अगर हम न होते
अगर हम न होते
अगर हम न होते तो कोई और होता
जिस पर तुम्हें ऐतबार होता
पल भर के लिए ही सही
हमारी राहें एक साथ रुकी थी
वो अलग रास्तों की एक मंज़िल
जो दोस्ती में छुपी थी
अगर हम न होते तो कोई और होता
जो वो दोस्ती निभा रहा होता
वो बातों का सिलसिला
यूँ ही चलता रहा
कि सुबह से शाम और फिर रात
बस वक्त बदलता रहा
अगर हम न होते तो कोई और होता
जो तुमसे बातें कर रहा होता
क्या तुम्हें पता है ?
तुम जो कहते हो
कि तुम खुदगर्ज़, अंतर्मुखी हो
नजाने क्यों मुझे नहीं लगता
कि तुम इन में से कुछ भी हो
अगर हम न होते तो कोई और होता
जो इस वहम को दूर कर रहा होता
तुम्हारी पसंद नापसंद
मैं जानने लगी थी
अपनी खूबियाँ और खामियाँ
तुम्हें बताने लगी थी
अगर हम न होते तो कोई और होता
जो तुम्हें खुद से रू-ब-रू करवा रहा होता
शायद ये मुलाकात हमारी
आखिरी मुलाकात हो
हमारी कोशिश रहेगी,
कि ये बहुत ही खास हो
अगर हम न होते तो कोई और होता
जो उस आखिरी मुलाकात को
खास बना रहा होता
और कौन से हुनर हैं
ये तो नहीं जानती हूँ
तुम बातें अच्छी बना लेते हो
मैं कविता अच्छी लिखती हूँ
बस इतना जानती हूँ...
अगर हम न होते तो कोई और होता
मगर वो कोई और
तुम्हारे लिए शायरी न लिख रहा होता!