अध्यापक
अध्यापक
अध्यापक होना सरल नहीं
अत्यंत धैर्य आवश्यक है।
अध्येता की आस ना टूटे
ये विश्वास आवश्यक है।
बाल मन का बोध जो समझे
मातृत्व भाव आवश्यक है।
ध्यान में जब हो शिष्य का चिंतन
निःस्वार्थ त्याग आवश्यक है।
वत्सो के उज्ज्वल भविष्य में
कर्तव्य बोध आवश्यक है।
स्वार्थ रहित नाता जिनसे
अथाह स्नेह आवश्यक है।
गुरु बने आदर्श शिष्य का
अतिशय विवेक आवश्यक है।
अतः अध्यापक होना सरल नहीं
अत्यंत धैर्य आवश्यक है।