STORYMIRROR

Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

3  

Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

अधूरा खत।

अधूरा खत।

1 min
390

एक अधूरा खत आज भी है मेरे सिरहाने पर,

जो लिखा था मैंने कभी तुम्हें मनाने के लिए।

अधूरी यादों के साथ कट रही है जिंदगी,

एक अधूरा खत बन गया है सहारा जीने के लिए।


मीठी तकरार सिमट गई खामोशी के दरम्यान,

लफ्ज़ छोटे पड़ गए या बढ़ गया गुरुर था,ज

ना कभी हम झुके ना कभी तुम झुके,

एक दूसरे को ऊँचा उठाने के लिए।


मिट्टी के महल जैसा ढह गया प्यार का पक्का मकान,

साथ रह रहे हमसफर अचानक बन गए अनजान,

तब भी एक खत अधूरा था मेरे सिरहाने पर,

जिस खत में था मेरा प्यार तेरे लिए।


सात दशकों की इस जिंदगी में,

जाने गुजर गए कितने कारवाँ,

अफसोस जस का तस बना है मन मे,

एक अधूरे खत को पूरा ना करने के लिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance