अच्छा हुआ बड़े खुश हैं
अच्छा हुआ बड़े खुश हैं
आज हम पहनकर कफ़न तुर्बत में आ गये हैंं।
अपने ही दफन करके हमको घर को जा चुके हैं।।1।।
थोड़ी भी देर ना रखा यूँ हमको अपने ही घर में।
मेरी मय्यत पर देखो मेरे अपने सब गैर हो गये हैं।।2।।
थोड़ा रो कर सबने बस फ़र्ज़ अदायगी कर दी।
किसी को भी मर ने पर हम अच्छे ना लग रहे हैं।।3।।
सबका खर्च मैं ही उठाता था यूँ तो इस घर का।
सारे के सारे आज हमको मतलबी से लग रहे हैं।।4।।
घर पर किसी को गम ना हैं ऐसे मेरे मरने का।
फिक्र हैं सबमें रहेंगें कैसे पैसे जो ना मिल रहे हैं।।5।।
गर मरता ना तो जान ही ना पाता इन सभी को।
अच्छा हुआ बड़े खुश हैं चलो हम तो मर गये हैं।।6।।
