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KAVITA YADAV

Tragedy Inspirational

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KAVITA YADAV

Tragedy Inspirational

अबॉरशन

अबॉरशन

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माँ में नन्हा सा फूल हुँ, क्यों तुझको इसका पता नही।

जब मारा मुझको तुझमे,क्या तेरा कोई पाप नही....


नहीं अगर तु बचा सके,तो करते क्यों अपराध हो।

अपनी खुशी के लिए,जब चाहे तब किया हमें बर्बाद हो..


हक था मेरा जीना, बेटी का क्यों नाम दिया

आपकी माँ ने भी तो तुमको यूँ जन्म दिया..


कब तक भेदभाव करोंगे जिसका तुमको दर्द ना दिखा

कितना अत्याचार करोंगे, मेरा क्या कसूर है?इसका तो

बखान करोंगे....


अबॉरशन के नाम पर कितने अब अपराध बड़े

इस आधुनिक दुनिया मे कितने बच्चें बली चढ़े...


पाल ना सकते तो अबॉरशन हक नहीँ

दिखा सको ना दुनिया तो ,बेटी कहने का

हक नही.......



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