अब सुबह होगी ही नहीं
अब सुबह होगी ही नहीं
सूरज मुफ़्त का खा पी कर,
हो गया है बहुत मोटा,
बेचारे घोड़ों से इतना भार,
खींचा भी तो नहीं जाता,
अब सुबह होगी ही नहीं।
सूरज मुफ़्त का खा पी कर,
हो गया है बहुत मोटा,
बेचारे घोड़ों से इतना भार,
खींचा भी तो नहीं जाता,
अब सुबह होगी ही नहीं।