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अब मुस्कुरायेंगे कैसे

अब मुस्कुरायेंगे कैसे

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कुछ है घुटन सी सब्र नहीं, इसे छुपाए कैसे,
कुछ इस तरह बयां करता हूं, और बताऊँ कैसे।

ख्वाबों की कब्र से निकलकर, अब मुस्कुरायेंगे कैसे,
आराम की जगह है तनहा, अब शोर मचाएंगे कैसे।

मुझसे ज़िंदगी को बैर हुआ, अपनी उम्र छुपायेंगे कैसे,
उम्र में कस कर गांठ लगा दी है, ये गांठ हटाएंगे कैसे।

तुम ही जी लो अपनी ज़िंदगी, ऐसी ज़िंदगी हम जियेंगे कैसे,
ये मेरा फांसी का फंदा सांस रुकी, तुम्हें साथ ले जायेंगे कैसे।


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