STORYMIRROR

V. Aaradhyaa

Inspirational

4  

V. Aaradhyaa

Inspirational

पारिस्थितिकी का उचित संतुलन

पारिस्थितिकी का उचित संतुलन

1 min
389


हरित धरा कहे तुमसे ,


          काटो ना वृक्ष कसम से !




ये जो शज़र कट जायेंगे ,


         सब अनाच्छादित हो जायेंगे !




अपने

परिजनों से भी कहो हे मानव ,


        कि ना बन जाएं लालच में दानव !




पृथ्वी अनल व्योम अरण्य प्रमुदित ,


     जो पारिस्थितिकी का संतुलन उचित हो !




©®V. Aaradhyaa


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational