पारिस्थितिकी का उचित संतुलन
पारिस्थितिकी का उचित संतुलन
हरित धरा कहे तुमसे ,
काटो ना वृक्ष कसम से !
ये जो शज़र कट जायेंगे ,
सब अनाच्छादित हो जायेंगे !
अपने
परिजनों से भी कहो हे मानव ,
कि ना बन जाएं लालच में दानव !
पृथ्वी अनल व्योम अरण्य प्रमुदित ,
जो पारिस्थितिकी का संतुलन उचित हो !
©®V. Aaradhyaa