अब और कितना इंतजार
अब और कितना इंतजार


कितने मौसम बीत गए पर हुआ ना तुम्हारा दीदार,
थक गई अँखिया मेरी अब और करें कितना इंतजार,
तुम तो ऐसे गुम हो गए जाने कहां किन वादियों में,
पलट कर तो एक बार देखो ये कैसा है तुम्हारा प्यार,
हवाओं से खुशबू तो तुम्हारी आती है पर खबर नहीं,
पर फिर भी तुम्हारे इंतजार के दीए जलाए हैं हर बार,
राह तकते हैं कभी दर तो कभी राहों में तुम्हें ढूंढते हैं,
ख़बर तो लो अपने प्यार की देखो कितना है बेकरार,
आंखें भी अब तो मेरी पलकों से करने लगी है सवाल,
कब खत्म होंगी ये दूरियां कब होगा प्यार का इजहार,
तुम्हारे इंतजार में आंसुओं से रोज़ दामन भीग जाता है,
और अब कितने आंसू बहाएं हम कितना करें इंतजार।।