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नविता यादव

Drama

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नविता यादव

Drama

आया बसंत

आया बसंत

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धरा सजी है, दुल्हन बनके,

देखो लगी है, हल्दी पीली सरसों बन के

खिले हैं फूल चहुं - दिशाओं

जैसे खड़े हैं लोग रंग बिरंगी वेश भूषा पहनें।


क्या खूब है रोनक, क्या मधुर है संगीत

नांचे तितलियां ठुमक-ठुमक के

घनघोर घटा भी निखरी निखरी दिखे,

मस्ती भरा माहौल हर जगह बिखरे।


रूप मतवाला अदाएं घायल करे

हवा के झोंके ठंडी ठंडी आहे भरे,

रूप सलोनी धरती बोले,

आओ ऋतु राज बसंत,साथ में डोले।


छाए बसंत, नाचे धरा

पेड़ और पौधे भी रस गान करे

सर, सर, सर, सर संगीत धुन बजे

मन बावरा बैरी, इस अदभुत सौंदर्य को देख

प्रकृति के प्यार में डूबने लगे।


आया बसंत, आया बसंत

मन भावन बसंत, चित चोर बसंत

प्यारा बसंत, ऋतु राज बसंत,

आया बसंत आया बसंत।


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