आवाज़ ना दो
आवाज़ ना दो
मुझ को मुझ तक रहने दो
अपने में ही खो जाने दो
आवाज ना दो कहीं से भी तुम
आज मुझे ही रहने दो
प्यार ना हो जब तक तुम को
मुझको तुम आवाज ना दो
मेरी सूनी राहों में
आज मुझे तुम चलने दो
मेरे तन और मन को तुम
आज अकेले चलने दो
उलझी हुई कुछ पहेलियों को
आज तुम सुलझने दो
बिखरे हुए तिनकों को तुम
आज मुझे तुम चुनने दो
अनजानी राहों पर चल कर
आज मुझे कदम भरने दो
उत्साहित मेरे मन को
तुम चकनाचूर ना करो
आज मुझे तुम चलने दो
मेरे अंतर्मन की बातों को
मन ही मन में करने दो
मेरी सुनी आंखों में
कुछ सपने तुम भरने दो
कुछ दूर तो चलने दो।

