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mohammad imran

Tragedy

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mohammad imran

Tragedy

आतंकवाद की देन

आतंकवाद की देन

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चारो तरफ है, धुआँ धुआँ जिसमें सब कुछ खो गया 

कल जो मंजर जागा था ,वो आज देखो सो गया।


खून के है छींटे देखो, हर दरो दीवार पे 

ज़ख़्म कितना गहरा है,इन आतंकवादियों के वार पे।


कल जो बच्चा था ख़ुशी, आज उसकी खो गई हँसी 

खो गए उसके माँ-बाप, इन्हीं काले नागो ने उनको डंसी।


जहाँ देखो जिधर देखो, इनका ही फैला जाल है 

खल-बली सी मची हुई है, कारण इनका ही बवाल है।


इस कदर आतंक है की धरती पे,फरिश्ते भी आके रो गए 

खुदा भी कहता है,इन्हे तो इंसान बनाया,आतंकवादी कहाँ से हो गए।


बस उड़ा, बिल्डिंग उड़ी,और पलटी ट्रेन है 

प्लेन हाईजैक ,एवाम का क़त्ल यही तो आतंकवाद की देन है।


दुनिया में जो फसादी है ,वही तो आतंकवादी है 

नहीं है इनका धर्म कोई ,ना किसी मजहब ने जगह दी है।


अगर कोई इनको धर्म से जोड़ता है ,वो इंसानियत से मुँह मोड़ता है 

सिर्फ अपने फायदे के खातिर, धर्म की बुनियादो को झकझोरता है।

      



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