"आतंकी ज़ेहाद " (7)
"आतंकी ज़ेहाद " (7)
नापाक काफिरों ने,फिर से
कायराना हमला, कर दिया ।
पुलवामा में हमारे, वीर जवानों को
धोखे से हलाक, कर दिया ।।
ये जेहाद के, नाम पर
धर्म को, बदनाम करने वाले ।
मानवता के माथे पर, हैं बदनुमा दाग
ये धोखे से, पीछे को वार करने वाले ।।
किसी मज़हब में, नहीं लिखा
किसी ने कुरआन, में नहीं पढ़ा।
धर्म की आड़ लेकर, दूसरों के दम पर
आतंकियों पर खून, का जुनून चढ़ा।।
बारूद व आतंकी, तैयार करते कुछ
इंसानियत को, लहू-लुहान करने।
बुद्ध और नानक, से हैं महरूम
कौन बताये इंसा,की कद्र करने।।
इतिहास देता है प्रमाण,
खून से सराबोर, इनकी दासताँ ।
अहिंसा नहीं हिंसा, से भरी
इनके धर्म की, दासताँ ।।
एकजुट हैं आज, भारतवासी सभी
कहते कब तक, ऐसा सहेंगे।
लहू खौल उठेगा, कब हमारा
हो जाये आरपार, चाहे जितने मिटेंगे।।
सुनों आतंकियों के, आकाओं
तैयारी करो, दोज़ख जाने की ।
किसी को नहीं, बख्शेंगे हम
नेस्तनाबूत करेंगे 'मधुर 'आतंकी वजूद की ।।