नए युग का [ बालक ] बच्चे है
नए युग का [ बालक ] बच्चे है
हम घिसे पिटे परियों के वो किस्से नहीं सुनेंगे
यूं खिली आँख से वो झूठे सपने नहीं बुनूँगा
मुझे पता नहीं चांद की धरती ही पथरीली है
इसलिए धब्बों की छायाएं नीली है
चरखा कात रही नानी मत बतलाओ
पढ़े लिखे बच्चों को ऐसे मत झुठलाओ
इन्द्रधनुष के रंग इंद्र ने नहीं बनाएं
पृथ्वी का नहीं बोझ खड़ा कोई बैल उठाएं
मुझे पता है, बादल कब जल बरसाते हैं
मुझे पता है कैसे पर्वत हिल जाते हैं
नए जमाने के हम बालक पढ़ने वाले
कैसे मानें बगुलों के पर होंगे काले
हमें सुनाओ बातें जग की सीधी सच्ची
नहीं रही अब अक्ल हमारी इतनी कच्ची