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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

देखो सोचो पूछो जानो

देखो सोचो पूछो जानो

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घूम घूम के देखो जल्दी

क्या कुछ तुमको पास दिखा है

बोलो बोलो क्या दिखा है


जल जंगल जमीन आसमान

ना जाने क्या कुछ दिखा है

पल भर देखो मन भर सोचो

इतना सब कुछ क्यों दिखा है


कही दिखेंगे ऊँचे पर्वत

कहीं दिखेंगे गहरे गड्ढे

कहीं दिखेगा पानी पानी

कहीं दिखेगी रेत हि रेत


कहीं धूप से तपती धरती

कहीं चाँद से ठण्डी धरती

कहीं धूप से गर्म हवाएं

कहीँ चाँद से सर्द हवाएं


कहीं गरजते कहीं बरसते

बदरा कारे भूरे देखो

कहीं कड़कती कहीं चमकती

चमचम रानी बिजली देखो


जब जब देखो

तब तब सोचो

रोक टोक कर

सबसे पूछो


फिर थोड़ा तुम सोचो खुद से

जोर लगाओ जोर लगाओ

अकल के घोडे खूब दौड़ाओ


मम्मी पापा दादी दादा 

चाची चाचा दीदी भईया

सबको तुम फिर घेर के पूछो

क्यों होता है ऐसा हरदम

क्यों दिखता है ऐसा हरदम


पल में बदले मौसम देखो

जब तब बरसे बदरा कसके

कैसे बरसे कैसे बदले

बदरा मौसम

जब तब जब तब।


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