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Deepak Singh

Children Stories Children

4  

Deepak Singh

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बचपन

बचपन

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बचपन भी क्या चीज होती है,

मन की पहली दहलीज होती है।

मां ममता की मूरत होती है,

बचपन भी क्या चीज होती है।।


मस्ती का वह पड़ाव होती है,

नाम भूख होती है ना प्यास होती है।

केवल आनंद ही आनंद होती है, 

बचपन भी क्या चीज होती है।।


हम रोते हैं तो मां भी रोती है,

खुद ना खाकर मुझे खिला के चैन से सोती है।

बचपन की बातें वो याद मुझे आती है,

बचपन भी क्या चीज होती।।


ना पढ़ना होता है ना लिखना होता है,

वही होता है जो मन को करता है।

ना रोक होती है ना बंदी से होती है,

बचपन भी क्या चीज होती है।।


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