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Deepak Singh

Others

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Deepak Singh

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बिछड़ना

बिछड़ना

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पेड़ भी कभी रोता होगा।

आंखों से, उनकी भी, आंसू बहता होगा।

पतझड़ में जब पत्तियां बिछड़ती होगी।

उनको भी दर्द का एहसास होता होगा।


      ना छोड़ जाने की चाह अंदर से आती होगी।

      ना जाने अपने आंसू वह कैसे छुपाती होगी।

      सबसे बिछुड़ने का पल, जब नजदीक आती होगी।

      बिछुड़कर घर से, जब वह धरती पर जाती होगी।




   बाकी पत्तियां जोर से रोती और बिलखती होगी।

   मत जाओ तुम मुझे छोड़कर ये भी कहती होगी।

   ठहर जाते कुछ दिन और यह मलाल होता होगा।

   मनेगी वसंत की खुशियां पर वह साथ ना होगा।


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