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Deepak Singh

Abstract

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Deepak Singh

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बदलाव

बदलाव

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प्रकृति बदली, समय बदला, बदल गया है इंसान।

रीत भी बदली,प्रीत भी बदली,

लोगों के मन की मीत भी बदली। अब तो बदल गया इंसान।


अपने मायाजाल में वह पूरा घीर गया है,

इंसान अब इंसानियत का रिश्ता भूल गया है।

दूसरों की नकल करने में ,खुद का वजूद खो रहा है।

इंसान अब इंसानियत का रिश्ता भूल रहा है।


दाल चावल की जगह पिज़्ज़ा बर्गर खा रहे है। 

अपनी संस्कृति को छोड़ दूसरों की अपना रहे है।

बच्चे पिता और माता सब दोस्त बन रहे है।

अब तो बच्चे गर्लफ्रेंड के किस्से भी घर में कह रहे है।


इंसान को इंसानियत का मतलब समझना चाहिए।

हो अगर कोई मुसीबत में तो हाथ बढ़ाना चाहिए।

हर परिस्थिति में एक एक दूसरे का मदद करना चाहिए।

इंसान को इंसानियत का मतलब समझना चाहिए।


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