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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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आत्मज्ञान।

आत्मज्ञान।

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करबद्ध प्रार्थना यही प्रभु तुमसे,

संसार को सुखमय बना देना।

राग-द्वेष और मान हानि की,

मोहाशक्ति सदा मिटा देना।।


सदविचार, सदव्यवहार और शुद्ध आचरण का,

वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ा देना,

हेतु-रहित, दया-सहित अनुराग बढ़े,

हर पल वह युक्ति सिखा  देना।।


दुःख, संताप सबके तुम हरना,

क्षमाशील, शिष्ठावान बना देना।

जन्म दिया है इस नर तन का,

"आत्मज्ञान" की अलख जगा देना।।


मिल जुलकर सदा सब सुखी रहें,

हीनता का भाव सबसे मिटा देना।

करें दर्शन - रत्न - सुदुर्लभ,

पथ हम सबके सुगम बना देना।।


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