जीते जी कर लो सेवा। मात पिता की सार्मथानुसार करो श्राद्ध पितृ प्रसन्न। जीते जी कर लो सेवा। मात पिता की सार्मथानुसार करो श्राद्ध पितृ प्रसन्न।
कचहरी की भाषा हिन्दी हो ज्ञान-विज्ञान की सब घरों में हिन्दी बोले हिन्दी आन बान की कचहरी की भाषा हिन्दी हो ज्ञान-विज्ञान की सब घरों में हिन्दी बोले हिन...
क्योंकि मैं स्वभाव से ही कोमल, निर्मल, संवेदनशील व भावुक हूँ। क्योंकि मैं स्वभाव से ही कोमल, निर्मल, संवेदनशील व भावुक हूँ।
लेकिन बुराई न करो कोई ये सोचकर चलो, रास्ता सुगम नहीं। लेकिन बुराई न करो कोई ये सोचकर चलो, रास्ता सुगम नहीं।
हेतु-रहित, दया-सहित अनुराग बढ़े, हर पल वह युक्ति सिखा देना।। हेतु-रहित, दया-सहित अनुराग बढ़े, हर पल वह युक्ति सिखा देना।।
राह में कांटे बिछाते देख लूं तो चुप रहूँगा, मैं स्वयं निज पथ सुगम कर सभी को आशीष दूंगा राह में कांटे बिछाते देख लूं तो चुप रहूँगा, मैं स्वयं निज पथ सुगम कर सभी को आ...