आशीष
आशीष
मन की गहराई में
छिप बैठे मेरे लाल
सच सच कहता हूं
खुश रहना मेरे लाल
दिवस जन्म का आपका
रवि गति बदली का काल
आशीषों की बरसात में
नहला जाओ मेरे लाल
जन्म आपका जब हुआ
जन्म पिता का भी हुआ
दस वर्षों का समय पथ
दूर दूर ही अधिक रहा
पार्थ आपका नाम है
सखा श्याम के प्यारे हो
माया मोह से परे रहो
धर्म कर्म पर वारे हों
दुर्गुणों से बचकर रहना
बन पंकज ऊपर उठना
विषधर संगति पाकर भी
खुद विषधर नहीं बनना
सत्व मार्ग के राही बन
उन्नत सोच बना रखना
साध्य और साधन का
भेद समझ कर फिर चलना
धन संपत्ति बस साधन है
साध्य नहीं है जीवन के
सब दुनिया में छूटेगा
नहीं झूठ कुछ इसमें है
चाहा बहुत सत्य समझाऊं
जो मेरे वश में कब है
झूठों की महफिल में सच को
सच बतलाना मुश्किल है
आशीष आपको देता हूं
तिमिर भेद प्रकाश करो
जग में नाम आपका फैले
बड़े बड़े तुम काम करो।
