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Vaidehi Singh

Inspirational

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Vaidehi Singh

Inspirational

आशा बड़ी निराश है

आशा बड़ी निराश है

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आशा बड़ी निराश है, 

परिश्रम के स्थान पर सबकी जिह्वा पर काश है। 

जहाँ अंधेरे सा दिखता हर प्रकाश है, 

वहाँ आशा बड़ी निराश है।


जहाँ सर्वस्व खोने का हल्कापन मस्तिष्क पर भारी है, 

जहाँ जिह्वा स्वयं निंदा तलवार दोधारी है। 

जहाँ योग्यता के कतरे-कतरे का होता नाश है, 

वहाँ आशा बड़ी निराश है।


जहाँ जीवन स्वयं मर जाता है, 

जहाँ साहस स्वयं डर जाता है। 

जहाँ मलिनता में ढ़केलता स्वयं प्रेमी का मोहपाश है, 

वहाँ आशा बड़ी निराश है।


जहाँ मनुष्य तो क्या अकेलापन भी साथ छोड़ देता है, 

जहाँ मनुष्य स्वयं से मुँह मोड़ लेता है। 

आत्मविश्वास भी जहाँ होता हताश है, 

वहाँ आशा बड़ी निराश है ।


पर निराशा के इस गहरे सागर में, 

रहता है महामंत्र भक्ति की गागर में। 

जहाँ महामंत्र पराक्रम से नर्क भी बनता कैलाश है, 

वहाँ आशा कैसे निराश है।


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