STORYMIRROR

Arpit Sharma

Tragedy

3  

Arpit Sharma

Tragedy

आरक्षण

आरक्षण

1 min
375


क्या कहे साहब जी,

जात धर्म का भेद नहीं,

सब दिल से अपना नाता है,

पंडित जी के घर में जन्मे,

इसी लिए आपने काटा है,


वो कहते तुमको क्या जरूरत है,

तुम्हारे पूर्वजो ने लूटा है,

उन्होंने दूसरों को खूब सताया है।


चलो माना तुम जो कहते हुआ होगा,

लेकिन उनका लूटा हमे तो नहीं दिखता,

नहीं हमने किसी को टोका,

अब तुम ही कहो बाप के खाने से,

बेटे का पेट तो नहीं भरता।


ओर तुम ही कह दो क्या सच्चा,

क्या झूठा है साहब जी,

दादाजी जी के दादाजी और

उनके दादाजी के पा

पाजी,

होंगे दोषी तो पोता जी के पोता जी,

ओर पोता जी के बेटे जी को,

किस खातिर सूली पे टांग रहे।


तुम तो गड़े मुर्दो के नाम पे,

हमारा खुले में काट रहे,

आरक्छन के टुकड़ो पे,

तुम गुड़ में गोबर बाट रहे।


हो सके तो इतना करदो,

जो हम दे रहे आयकर,

उसका कुछ मान रखो,

सामान्य कहलाने वाली जाती में,

गरीबो का भी ध्यान रखो।


क्योंकि वक्त पंडित जी अच्छा बुरा जाने,

पैसा का मोल बनिया जी पहचाने,

दिल मे जिगरा राजपूत जी के,

और तुम्हारे वोट काटना हम अच्छे से जाने।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy