आज के कीबोर्ड वाले मजदूर
आज के कीबोर्ड वाले मजदूर
मैं आज के दौर में आसमान और ज़मीन पकड़े बैठा हूँ,
मैं इस किनारे भी बैठा हूँ और उस किनारे भी बैठा हूँ।
किसी बुजुर्ग की कहानियों का हिस्सा बन के रहता हूँ,
तो किसी कंप्यूटर में तुम्हारे कल का कोड लिखता हूँ।
मुझे कई बार कहते तुमने सुना होगा की मैं आज हूँ ,
सालों बाद मुझे पढ़ोगे तो सोचोगे की मैं आज हूँ।
किसी दीवार पर उगते दरख्त सी है मेरी जिंदगी,
इस आस में शहर आया की कभी लौट जाऊँगा।
माँ की गोद की नींद, अब मेमोरी फोम के गद्दे
पर याद आती है।
यूँ ही दौड़ जाते थे घर से स्कूल तक अब यूँ ही
सांस फूल जाती है।
कभी धूल झाड़ कहते थे की लड़ाई लड़ाई माफ़
करो .... साफ करो.
और अब जरा सी बात पे बातें ही बंद हो जाती है।
मैं आज के दौर में HDMI और VGA का कनेक्टर हूँ।
कैसेट गेम्स की लत में पिछड़ा हुआ मोबाईल डेवेलोपर हूँ।
तुम्हें पता नहीं होगा की चैट ऍप क्यों बनाये हमने,
क्योंकि चिट्ठियों के चक्कर में खूब डंडे खाये है हमने।
मैं आज के दौर में आसमान और ज़मीन पकड़े बैठा हूँ,
मैं इस किनारे भी बैठा हूँ और उस किनारे भी बैठा हूँ ।