मैं आजादी घोषित करता हूँ - भगत
मैं आजादी घोषित करता हूँ - भगत
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तुम बैठो रुदन करो,
आराम करो, विचार करो,
मैं जाकर लड़ता हूँ,
स्वतंत्रता में शीश धरता हूँ।
मैं सूली पर चढ़ सकता हूँ,
गुलाम नहीं रह सकता हूँ,
आजादी मेरी मेहबूबा,
पाने को प्रलय कर सकता हूँ।
रामचंद्र का वंसज हूँ,
है विनम्रता तीन बार की,
फिर भी ना माने कोई ,
तो भाषा सिर्फ ललकार की।
मृत्यु के भय से तुम डरते हो,
तभी तो बार बार निवेदन करते हो,
वो गोरे भुजंग कुंडली मारे बैठे है,
वो निवेदन को हर बार डस लेते है,
मैं जाता हूँ उनके दाँत गिनता हूँ,
उनके दम्भ को दण्डित करता हूँ,
आज स्वयं को आजाद घोषित करता हूँ,
मैं आजादी घोषित करता हूँ।