आरजू थी कि
आरजू थी कि
आरजू थी कि तुमसे मुलाकात होती रहे।
तेरी रानाइयों की बरसात यू ही होती रहे
जुवान भले ही हम दोनो की खामोश रहे।
नजर नजर से मगर अपनी बात होती रहे
तुम्हारी एक हकीकत की अलग दुनिया है।
कल्पनाओं में ए चांद तेरी रात होती रहे।
कौन जाने की कब सोया नसीब जाग उठे।
जहां भी मौका मिले मुलाकात होती रहे।
सच्चे दिल से रब से हम यह दुआ करते हैं।
जन्म जन्म हमारे इश्क की बात होती रहे।

