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राजेश "बनारसी बाबू"

Action Classics Inspirational

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राजेश "बनारसी बाबू"

Action Classics Inspirational

आपन अमराइया गांँव

आपन अमराइया गांँव

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अरे अपना अमराइया गांँव

का कैसा हाल हो गया मैया ?

जैसे लगता घर आंँगन निबिया

डारी अब तो सब सब खो गया है मैया ?

ये बसवारी,निमिया की डारी,

हरे भरे केले के वृक्ष कौन तोड़

गया हैं मैया ?


अपना अमराइया गांव

पहचान में नहीं क्यों आ रहा है मैया ?

वो कच्ची पगडंडी बड़ी सुहावत

रही ना मैया।

यहीं पर तो गईया गोरू

बधांवत रही ना मैया।

यहीं से सौंधी मिट्टी की

खुशबू भी आवत रहीं ना मैया।

कहां गया वह अपना बचपन

वाला गांव अमराइया ?


बब्बा यही पर खाट पर सोते थे ना मैया ?

दद्दा यहीं पर चिलम भी

खींचा करत रहे ना मैया।

ई पोखरा काहे को सूख गई है मैया ?

फिर से ये कच्चे आंँगन क्यों टूट

गई है मैया ?

मुझे आंँखो में बहुत आंँशू आए हैं मैया ?

बचपन वाला अमराइया गांँव

बहुत बदल गए हैं मैया ?

वो चच्चा का मड़ई अब कहां गई मैया ?


और वो अपनी खेतवाड़ी नजर

नहीं आवे है मैया ?

यह आधुनिक चूल्हा का खाना

मोहे भाए ना मैया ?

वह मिट्टी वाले चूल्हे का रोटी

बड़ी सौंध लागे है मैया।

ये दूध हमें मुंह ना लागे है मैया ?


अपनी जर्सी वाली गईया का

दूध हमे भावत है मैया।

अब आपन अमराइया गांव ना सुहावे हैं मैया।

अब आपन अमराइया गांव बहुत बदल गए हैं मैया।


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