आँटी जी किसे बोला बे धतूरे
आँटी जी किसे बोला बे धतूरे
सब्जी वाले ने घंटी बजाई
आँटी जी ले लो घीया, पेठा और तोरई
आँटी जी किसे बोला बे धतूरा
तिरछी-पैनी नज़रों उसने घूरा।
आँटी जी किसे बोला बे धतूरे--।
अभी तो रंगीन उम्र की फिजा है
कल की बात, डोली से हुई विदा है
उतरा नहीं है अभी मेरे यौवन का खुमार
अँगना में झूमती है मेरी पैजनियों की झंकार।
आँटी जी किसे बोला बे धतूरे--।
बाल मेरे अभी काले हैं
भले ही डाई के हुए हवाले हैं
पोते-पोतियों की दादी हूँ
मस्त फिजाओं की हसीन वादी हूँ।
आँटी जी किसे बोला बे धतूरे--।
कल तुम्हारे अंकल जी मुझे देख कर
मुस्कुरा रहे थे
जोर-जोर से गा रहे थे
अभी तो तुम हो हंसी और जवां
मेरी हमनशीं , मेरी हमनवां।
आँटी जी किसे बोला बे धतूरे--।
सजना से अभी रुह की मुलाकात हुई है
जवां मोहब्बत की अभी शुरुआत हुई है
अभी-अभी तो जीने की जागी चाहत है
तुम्हारे आँटी जी कहने से मन आहत है।
आँटी जी किसे बोला बे धतूरे--।