Karishma Gupta
Tragedy
इन आँसूओं को पी कर मैंने पहले
न जाने कितनी दफा खुद को समेटा है,
न जाने क्यों ये आज मुझे फिर से बिखेर रहे है।
स्मृतियां
एक उम्मीद
यात्रा
सफ़र
चक्रवात
वो बस जी रहे ...
**......**
"बदलाव"
बेवजह
संघर्ष
नासूर बनके धडकते थे सीनें में गुज़रे अब जमानें हो गए। नासूर बनके धडकते थे सीनें में गुज़रे अब जमानें हो गए।
हर एक याद आज भी फासलों में भी सिमटी सी हैं हर एक याद आज भी फासलों में भी सिमटी सी हैं
सरे बाजार बिकने का स्वांग रचा गया आप तो खरीददार बड़े सुरमा निकले सरे बाजार बिकने का स्वांग रचा गया आप तो खरीददार बड़े सुरमा निकले
बसकारे में धान लगाई, दिन-दिन भर हम करत निदाई। बसकारे में धान लगाई, दिन-दिन भर हम करत निदाई।
आज मुझे तेरी ज़रूरत है, लेकिन तू मेरे साथ है नहीं। तेरी तस्वीरें मेरे पास है कई। आज मुझे तेरी ज़रूरत है, लेकिन तू मेरे साथ है नहीं। तेरी तस्वीरें मेरे पास ...
हमेशा मेरी गलतियों से मुझे रूबरू कराते हो कभी मेरी अच्छाइयों पर भी नजर डालो ना। हमेशा मेरी गलतियों से मुझे रूबरू कराते हो कभी मेरी अच्छाइयों पर भी नजर डालो न...
आज ये बच्चे तपतपाती धूप में खुदको सेक रहे हैं। आज ये बच्चे तपतपाती धूप में खुदको सेक रहे हैं।
जो भी महसूस होती शिकायतें हैं ज़िंदगी में अदब से उन्हें सराहना भी अब अच्छा लगता हैं। जो भी महसूस होती शिकायतें हैं ज़िंदगी में अदब से उन्हें सराहना भी अब अच्छा लगत...
महफ़िलों में रोशन शम़ा के परवाने तरसते रहे बददुआओं में महफ़िलों में रोशन शम़ा के परवाने तरसते रहे बददुआओं में
रोज लिखता था तेरी मुस्कुराहटों को रात में सुनता था तेरी आहटों को रोज लिखता था तेरी मुस्कुराहटों को रात में सुनता था तेरी आहटों को
राज गुरु हुए द्रोण से,किया शिष्यों से हेज। पढ़ना चाहे एकलव्य, खूब किया परहेज। राज गुरु हुए द्रोण से,किया शिष्यों से हेज। पढ़ना चाहे एकलव्य, खूब किया परहेज।
तूने सूरज की तमन्ना में जला दी बस्ती, मेरी पलकों में सजी बूँद उठाने वाले । तूने सूरज की तमन्ना में जला दी बस्ती, मेरी पलकों में सजी बूँद उठाने वाले ।
हार गए तो क्या गम, सुहाने सफर की आदत डाल लेना। हार गए तो क्या गम, सुहाने सफर की आदत डाल लेना।
तरस गए हम खुद से मिलने को बगियाँ में आशाओंकी कली खिलाने को. तरस गए हम खुद से मिलने को बगियाँ में आशाओंकी कली खिलाने को.
अरे वो कपड़ों की कीमत उनसे पूछो जिनके कपडे आधे से ज्यादा फटे हैं I अरे वो कपड़ों की कीमत उनसे पूछो जिनके कपडे आधे से ज्यादा फटे हैं I
दिल बंद बंद सा है अरमान हैं बुझे-बुझे। दिल बंद बंद सा है अरमान हैं बुझे-बुझे।
समंदर पार होकर भी दूर नहीं थी मुझसे, समंदर पार होकर भी दूर नहीं थी मुझसे,
घटाएँ आती हैं और जाती हैं अरमान कई सिमट जाते हैं घटाएँ आती हैं और जाती हैं अरमान कई सिमट जाते हैं
आज तक मुफ़्त क्या मिल सका? अपनी मेहनत ही काम आ रही है आज तक मुफ़्त क्या मिल सका? अपनी मेहनत ही काम आ रही है
नींद खुली आँखों में आती है जीवन बन्द आँखों में पलता है नींद खुली आँखों में आती है जीवन बन्द आँखों में पलता है