आँखे
आँखे
हँसती आँखों का दर्द
किसी ने देखा क्या
हँसती आँखें
एक छलावा होती हैं
जब अंधियारी रातों में
सब सोते हैं
वो याद किसी को करके
छुप कर रोती है
हँसती आँखें
एक छलावा होती हैं
महफिल में फैलाती
उजियारा खुद से
और अकेले में
ये निष्प्रभ होती हैं
हँसती आँखें
एक छलावा होती हैं
सभी समझते
इन्हें गमों की कैद नहीं
सभी व्यथायें
जहाँ हास्य में खोती हैं
हरती रहती
सबके मन के अंधियारे
हो मूक व्यथायें
अपनी सारी सहती हैं
हँसती आँखें
एक छलावा होती हैं
