आंगन
आंगन
मेरी खाली मुट्ठी को भर दिया,
मेरे आंगन में जैसे खुशियों को बिखेर दिया,।।
एक बाप के सर का गुरूर,
एक मां की आंखों का नूर,
ये बेटियां सतरंगी लहर सी हैं ,
इनके होने से आंगन और गलियां रौनक से भरी हैं ,
मेरी खाली मुट्ठी को भर दिया,
मेरे आंगन में जैसे खुशियों को बिखेर दिया,।।
इनके नन्हे कदमों में लक्ष्मी की छाप है,
इनकी कोमल हथेलियों में बसा सारा संसार है,
बेटी की दस्तक से मेरी बगियां में बहार आई है,
अपनी मुट्ठी में वो हर दुआ को समेट लाई है,
मेरी खाली मुट्ठी को भर दिया,
मेरे आंगन में जैसे खुशियों को बिखेर दिया,।।
बाबुल की गुड़िया और मां की लाडली है,
वो निडर और साहसी है,
क्या काव्य लिखूं मैं तुझपर तू खुद संपूर्ण ग्रंथ है,
तू एक नायाब गीत है और तू ही अनछुआ राग है,।।
मेरी खाली मुट्ठी को भर दिया,
मेरे आंगन में जैसे खुशियों को बिखेर दिया,।।
एक नही अनेकों अस्तित्व है तेरे,
समस्त गुण और तत्व समाए है तुझमें,
हर दर्द दिल का मिटा दे जब मुस्कुराती है बेटियां,
हर मोड़ पर रिक्त को पूर्ण कर देती है बेटियां,।