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PARMOD KUMAR

Tragedy

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PARMOD KUMAR

Tragedy

आक्रोश

आक्रोश

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ना आज मरेगें, ना कल मरेंगे ।

कोरोना तुझे, हरा के रहेंगे ।।

चीन लगा ले,कितनी तिकडम।

इक दिन तेरा, काल बनेंगे।।

कोरोना ने,मेरे देश में,ऐसा हाहाकार किया है।

कालाबाजारी ने मेरे देश का,हर पल हाल बेहाल किया है।।

खून के आँसू रो उठता हूँ, जब ये मंज़र नज़र किया है।

माँ से बेटा, बहन से भाई, बेटी को सूनी माँग किया है।।

लिख तो सकता हूँ, बहुत कुछ,लेकिन दिल में चैन नहीं है।

किसे सुनाऊँ दिल की हालत, इक भी श्रोता पास नहीं है।।

बैठ सँजोये करते थे हम,कैसे करें, सबका उद्धार ।

कोरोना का ग्रास *महेन्द्र*,मंजिल अब आसान नहीं है ।।

हार मान लूँ, इस घड़ी में,फिर कैसे होगा उद्धार ।

कोरोना तेरी हस्ती से,हाथ करेंगे दो-दो चार । 

अनहोनी होने ना देंगे,न्यौछावर है,ये तन- प्राण ।

संभल के रहना अन्यायी,ना मिटने देंगे,देश की शान ।।

मेरे प्यारे भारत का,ऐसा तूने हाल किया है ।

माँ से बेटा, बहन से भाई, बेटी को सूनी मांग किया है ।।

बेटी को सूनी---------



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