आखिर क्यों ?
आखिर क्यों ?
हर बार
दशहरे पर
क्यों सब को याद आता है
रावण का संयम ?
अहंकार ?
संकल्प ?
मर्यादा ?
रावण का दर्द दिखा !
बाकी साल भर ?
सीता की वेदना का क्या?
जन्म जन्म से वही कहानी
वही अग्निपरीक्षा !
सतयुग
सीता तो प्रताड़ित हुई ,
तब सीता परीक्षा देकर पास
पर आज ?
परीक्षा की नौबत ही कहाँ ?
सब कुछ खत्म
पलक झपकते ही !!
परिक्षाएँ तो देते हैं मा-बाप
निर्दोष बच्ची का बोझ
काँधे उठाये
एक कचहरी से
दूसरी कचहरी …
क्या परिणाम मिलता है?
शायद नहीं
अगर मिलता है
तो इतना देरी से
कि सुनने वाले पहुँच जाते हैं
भगवान की कचहरी।
तभी तो कहते हैं
भगवान के घर देर है अँधेर नहीं ।
कब दूर होगा ये अँधेरा ?
कब खत्म होगा शोषण ?
बच्चियों का हनन?
कन्याओं का खनन ?
जब समाज ही है भ्रष्ट
तो किस पर करें ट्रस्ट ?
