आजादी की तरह जीना चाहिए..!
आजादी की तरह जीना चाहिए..!
मैं एक घर बनाऊँगी
तुम्हारी यादों को रखने के लिए।
उस घर के दरवाजे पर मैं
तमाम उम्र बैठी रहूँगी
मगर ये मुनासिब है क्या...?
तुम्हारी यादों को घुटन महसूस हुई तो...?
नहीं नहीं, तुम्हारी यादों को भी
तुम्हारी तरह आज़ाद होना चाहिए।
नफ़रत हो कि मोहब्बत
अगर हो तो आजाद हो...!
साथ चाहे जिस्म का हो,
रूह का हो
या यादों का
इसे कैद सा नहीं
आजादी की तरह जीना चाहिए।